बच्‍चों में पसर रही है सिगरेट की लत

बच्‍चों में पसर रही है सिगरेट की लत

सेहतराग टीम

सिगरेट और तंबाकू के पैकेट्स पर चेतावनी वाली बड़ी बड़ी तस्‍वीरों, कैंसर के खतरों और समाज में तंबाकू और सिगरेट स्‍मोकिंग को लेकर फैल रही जागरूकता के बावजूद हमारे देश में आज भी लाखों बच्‍चे धड़ल्‍ले से धुएं के छल्‍ले में सुकून तलाश रहे हैं। हाल ही जारी ग्‍लोबल टोबैको एटलस के अनुसार भारत में 10 से 14 वर्ष के बीच की उम्र वाले करीब 6 लाख 25 हजार बच्‍चे सिगरेट की लत के शिकार हैं।

हर वर्ष इतनी जान चली जाती है धूम्रपान से

यही नहीं हर वर्ष करीब 9 लाख 32 हजार लोग सिगरेट के कारण जान गंवा देते हैं। इसके अलावा भारत में सिगरेट के कारण आर्थिक बोझ का अनुपात बेहद ऊंचा है। यहां आर्थिक बोझ से तात्‍पर्य सिगरेट के कारण स्‍वास्‍थ्‍य पर होने वाला सीधा खर्च और इसके अलावा सिगरेट स्‍मोकिंग के कारण पड़ने वाले अप्रत्‍यक्ष आर्थिक बोझ दोनों से है।

बीमारियों का घर है तंबाकू

आर्थिक बोझ के अलावा धूम्रपान देश में हृदय संबंधी बीमारियों, स्‍ट्रोक यानी मस्तिष्‍काघात, फेफड़े की बीमारी और कुछ खास तरह के कैंसर की सबसे बड़ी वजहों में से एक है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्‍यक्ष और हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल कहते हैं कि इतने जागरुकता अभियानों के बावजूद भारत में तंबाकू का इस पैमाने पर सेवन होते रहने के पीछे मुख्‍य वजह हमारी सामाजिक संस्‍कृति है। हमारे बच्‍चे उस उम्र में सिगरेट या बीड़ी पीना शुरू कर देते हैं जो इसके जोखिमों के बारे में सोचने की उम्र भी नहीं होती। एक बार शुरू कर देने के बाद धीरे-धीरे वो इसके लती बन जाते हैं और बाद में पछताते हैं। धूम्रपान हड्डियों को कमजोर करने और कूल्‍हे के फ्रैक्‍चर के जोखिम को बहुत अधिक बढ़ा देता है। पूरी दुनिया में 10 प्रतिशत हार्ट ब्‍लॉकेज और हृदय रोग से होने वाली 33 फीसदी मौतों के लिए सीधे धूम्रपान जिम्‍मेदार है।

धुआंरहित तंबाकू भी उतना ही खतरनाक

तंबाकू का ऐसा इस्‍तेमाल जिसमें तंबाकू को जलाया नहीं जाता, धूम्ररहित कहलाता है और यह भी सेहत के लिए उतना ही नुकसान देह है। धूम्र रह‍ित तंबाकू में शुगर की अधिकता रहती है और इसका लंबे समय तक इस्‍तेमाल बेहद नुकसान देह है और ये मधुमेह रोगियों के शरीर में चीनी की मात्रा को नियंत्रण में नहीं आने देता है।

सुपारी के साथ खाना और खतरनाक

भारत में तंबाकू को सुपारी के साथ मिलाकर खाने की परंपरा भी है और सुपारी खुद एक ज्ञात कैंसरकारी तत्‍व है। शरीर पर इसका भी बेहद विपरीत प्रभाव पड़ता है।

सकारात्‍मक सुझाव दें आदत छुड़वाने के लिए

डॉक्‍टर अग्रवाल कहते हैं कि हमारे देश में हम तंबाकू इस्‍तेमाल करने वालों को सकारात्‍मक रूप से समझाकर इस आदत को छुड़वाने की कोशिश करने की बजाय उसे इस तरह समझाते हैं कि अगर तुमने तंबाकू नहीं छोड़ी तो तुम मर जाओगे। ऐसे शब्‍दों का इस्‍तेमाल करने से मरीज और जिद से तंबाकू इस्‍तेमाल करने लगता है। जहां ये बात महत्‍वपूर्ण है कि समाज में तंबाकू के खतरों को लोग जानें वहीं तंबाकू छुड़वाने के लिए मरीज से सकारात्‍मक बातचीत किया जाना भी उतना ही जरूरी है।

तंबाकू छुड़ाने के कुछ तरीके

कम अवधि वाले निकोटिन के विकल्‍पों को आजमाएं। इसके तहत निकोटिन गम, लॉजेंस, नेजल स्‍प्रे और इन्‍हेलर्स का इस्‍तेमाल शामिल है।

इस बात का पता लगाएं कि आपको किस समय तलब लगती है। अगर आप तलब लगने के कारण का पता लगा पाएंगे तो इस तलब से छुटकारा पाने का उपाय भी तलाश पाएंगे।

तंबाकू की जगह चीनी रहित गम या हार्ड कैंडी या सूखा गाजर अथवा अजवाइन या कोई मेवा चबाने की आदत डालें।

शारीरिक रूप से व्‍यस्‍त रहें। थोड़ी-थोड़ी देर पर कोई शारीरिक गतिविधि करते रहें। इससे आपको तंबाकू की तलब कम लगेगी।

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